Kharna Chhath Puja: A Divine उपवास and Devotional अर्पण

Chhath Puja चार दिनों तक मनाया जाने वाला एक पवित्र पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है। इस पर्व का दूसरा दिन Kharna कहलाता है, जो कि व्रतियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन उपवास, पवित्रता और भक्ति का विशेष महत्व होता है। आइए विस्तार से जानते हैं Kharna Chhath Puja का महत्व, विधि, पारंपरिक अनुष्ठान, प्रसाद, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण।

Kharna Chhath Puja का महत्व

Kharna Chhath Puja छठ महापर्व के दूसरे दिन मनाया जाता है और इसे लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को विशेष पूजा-अर्चना करने के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह दिन आत्मशुद्धि और संकल्प का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन की गई पूजा से व्रती को मानसिक और शारीरिक शुद्धि प्राप्त होती है।

आध्यात्मिक महत्व
  • यह दिन भक्ति, संयम और त्याग का प्रतीक माना जाता है।
  • उपवास और पूजा से मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
  • व्रती का संकल्प दृढ़ होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन की पूजा से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
वैज्ञानिक महत्व
  • दिनभर का उपवास शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
  • सूर्य देव की उपासना से शरीर को प्राकृतिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • शुद्ध और सात्विक भोजन पाचन तंत्र को आराम देता है और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
  • मानसिक शांति और आत्म-अनुशासन को बढ़ावा देता है।
Kharna Chhath Puja की विधि

Kharna का अनुष्ठान सूर्यास्त के समय किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रक्रियाएँ होती हैं:

1. दिनभर उपवास:

व्रती इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक निर्जला उपवास रखते हैं। इस दौरान वे किसी भी प्रकार का भोजन या पानी ग्रहण नहीं करते। मन को शांत और पवित्र रखा जाता है।

2. गंगा जल से स्नान:

इस दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र जलाशय में स्नान कर शुद्ध होते हैं। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा की तैयारी करते हैं।

3. संध्या अर्घ्य और पूजा:

सूर्यास्त के समय विशेष पूजा की जाती है। घर के किसी पवित्र स्थान या छठ घाट पर मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाया जाता है। पूजा में भगवान सूर्य और छठी मैया की आराधना की जाती है।

4. प्रसाद ग्रहण:

व्रती सबसे पहले सूर्य देव और छठी मैया को प्रसाद अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रती खुद प्रसाद ग्रहण करते हैं और फिर परिवार व अन्य लोगों में इसे बांटते हैं। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास शुरू हो जाता है।

Kharna Chhath Puja के विशेष प्रसाद

Kharna Chhath Puja में बनाए जाने वाले प्रसाद शुद्ध और सात्विक होते हैं। इनका विशेष महत्व होता है:

1. गुड़ और चावल की खीर:

यह सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद माना जाता है। इसे गन्ने के रस या पानी में पकाया जाता है, जिससे यह पौष्टिक और स्वादिष्ट बनता है।

2. रोटी:

शुद्ध घी में बनी गेहूं की रोटी खीर के साथ खाई जाती है। इसे विशेष रूप से छठ माता को अर्पित किया जाता है।

3. केला और अन्य फल:

पूजा में केले और अन्य मौसमी फलों का विशेष महत्व होता है। इन्हें छठ माता को अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

4. गन्ने का रस और शुद्ध जल:

यह प्रसाद के रूप में व्रती ग्रहण करते हैं। गन्ने का रस पाचन के लिए लाभदायक होता है।

Kharna Chhath Puja के अनुष्ठान और परंपराएँ

व्रती इस दिन पूरे विधि-विधान से छठ माता की पूजा करते हैं। घर के सभी सदस्य इस पावन अवसर पर एक साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में लग जाते हैं।

Kharna Chhath Puja छठ पर्व का एक महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसमें व्रती अपने मन, आत्मा और शरीर की शुद्धि के लिए उपवास रखते हैं। इस दिन की पूजा विधि और विशेष प्रसाद भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं। यदि आप भी इस पावन पर्व को मनाने जा रहे हैं, तो इसकी पवित्रता और महत्व को समझते हुए पूरे श्रद्धा भाव से इसे मनाएं।

छठी मैया और सूर्य देव की कृपा हम सब पर बनी रहे! Jai Chhathi Maiya!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Verified by MonsterInsights